मानव आँख में प्रकाश कैसे प्रवेश करता है?
जब कोई वस्तु से प्रकाश परावर्तित (Reflect) होता है, तो वह आंख के विभिन्न भागों से होकर गुजरता है और अंततः रेटिना (Retina) पर इमेज बनाता है। यह प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है:
1. कॉर्निया (Cornea) – पहला अपवर्तन बिंदु
– प्रकाश सबसे पहले कॉर्निया से होकर गुजरता है।
– कॉर्निया पारदर्शी (Transparent) होता है और आंख की सबसे बाहरी सतह होती है।
– यह प्रकाश को अपवर्तित (Refract) करके उसकी दिशा बदलता है, जिससे वह लेंस की ओर केंद्रित होता है।
2. पुतली (Pupil) – प्रकाश की मात्रा नियंत्रित करता है
– कॉर्निया से गुजरने के बाद प्रकाश पुतली (Pupil) में प्रवेश करता है।
– पुतली की चौड़ाई को आईरिस (Iris) नियंत्रित करता है:
- अधिक रोशनी में पुतली संकरी (Contract) हो जाती है ताकि कम प्रकाश अंदर जाए।
- कम रोशनी में पुतली चौड़ी (Dilate) हो जाती है ताकि अधिक प्रकाश अंदर जाए।
3. लेंस (Lens) – इमेज को फोकस करता है
– प्रकाश फिर आंख के लेंस (Lens) से होकर गुजरता है।
– लेंस की मोटाई को सिलिअरी मांसपेशियाँ (Ciliary Muscles) नियंत्रित करती हैं, जिससे लेंस अपनी आकृति बदलकर पास या दूर की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
– यह प्रकाश को दूसरी बार अपवर्तित करता है और उसे रेटिना पर केंद्रित करता है।
4. कांचीय पिंड (Vitreous Humor) – प्रकाश को दिशा देता है
– लेंस से निकलने के बाद प्रकाश कांचीय पिंड (Vitreous Humor) से गुजरता है, जो एक जेल जैसी पारदर्शी पदार्थ होता है।
– यह प्रकाश को नियंत्रित तरीके से रेटिना तक पहुंचने में मदद करता है।
5. रेटिना (Retina) – इमेज बनती है
– प्रकाश अंततः रेटिना पर गिरता है, जो एक संवेदनशील तंत्रिका ऊतक (Sensitive Neural Tissue) है।
– रेटिना में दो प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं:
- रॉड कोशिकाएँ (Rod Cells): कम रोशनी में देखने में मदद करती हैं (श्वेत-श्याम दृष्टि)।
- कोन कोशिकाएँ (Cone Cells): रंगों को पहचानने में मदद करती हैं (लाल, हरा, नीला)।
– रेटिना पर बनने वाली छवि वास्तविक, उल्टी और छोटी होती है।
6. ऑप्टिक तंत्रिका (Optic Nerve) – मस्तिष्क तक सिग्नल भेजती है
– रेटिना प्रकाश को विद्युत संकेतों (Electrical Signals) में बदलकर ऑप्टिक तंत्रिका (Optic Nerve) के माध्यम से मस्तिष्क तक भेजती है।
– मस्तिष्क इन संकेतों को सही दिशा में सीधा कर देता है और हमें वस्तु स्पष्ट दिखाई देती है।
निष्कर्ष:
- प्रकाश कॉर्निया से होकर प्रवेश करता है और अपवर्तित होता है।
- पुतली प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है।
- लेंस प्रकाश को केंद्रित करके रेटिना पर इमेज बनाता है।
- रेटिना इमेज को विद्युत संकेतों में बदलकर ऑप्टिक तंत्रिका के माध्यम से मस्तिष्क को भेजती है।
- मस्तिष्क इन संकेतों को प्रोसेस करके हमें वस्तु का स्पष्ट और सीधा दृश्य प्रदान करता है।
इस प्रकार, आंख प्रकाश को ग्रहण करके उसे मस्तिष्क तक पहुंचाने में एक कैमरे की तरह काम करती है।